आजादी के अमृत महोत्सव काल में आत्मनिर्भर भारत के प्रतीक प्रजातंत्र का नवमंदिर का लोकार्पण किया गया। यह नवनिर्मित संसद भवन (New Parliament House) जिसे राष्ट्र के आम जन को समर्पित किया गया। यह विशिष्ट वास्तुकला और भारतीय संस्कृति के अमूल्य धरोहर का सर्वोच्च शिखर है।
भारत के नये संसद भवन के बारे में विस्तृत जानकारी
नए संसद भवन का शिलान्यास 10 दिसम्बर 2020 को किया गया था और दिनांक 28 मई 2023 को पूरा बनकर भारत देश की जनता को सौगात के रूप में मिली। बदलते भारत, विकासशील भारत की प्रगति के बढ़ते कदम के रूप में स्थापित धरोहर भव्य ईमारत 135 करोड़ भारतवासियों को गौरवान्वित करेगा।
भारत का नया संसद भवन की संरचना का वृहंगम दृश्य
नए संसद भवन हम सब भारतीयों के लिए लोकतांत्रित प्रभुत्व और आकांशाओं का प्रतिनिधित्व करता है। नया संसद भवन राष्ट्र की एकता और उसकी जीवतंता तथा अमरता का अमर परिचायक है। त्रिकोणीय शृखंला में नवनिर्मित इस भवन की खूबसूरती ही नहीं बल्कि कई धर्मों और मान्यताओं की परंपरा को जीवंत किया गया है।
शिल्प तथा वास्तु की समस्त अभिव्यक्तियों को बहुत ही सजीवता के साथ उकेरा गया है। यह नव मंदिर सिर्फ लोकतान्त्रिक ही नहीं बल्कि देवत्व का प्रतीक भी है, जिसमें मानवीय संवेदनाएं अपना हक़ पाती है।
65000 वर्ग मीटर के विस्तृत भू-भाग पर बने इस ऐतिहासिक स्मारक में समाहित है, राज्य सभा, लोकसभा, संवैधानिक हॉल, लॉउन्ज और भी कई कार्यालयों को अपने मे समेटे हुए है। इस पुरे भवन को विभिन्न रंगों और वास्तु सज्जा से सजाया गया है। लोकसभा हॉल को राष्ट्रीय पक्षी मोर की कृतियों से सजाया गया है, वहीं राज्यसभा हॉल को राष्ट्रीय पुष्प कमल के सज्जा से सजाया गया है।
पुरे भवन में पेंटिंग, पत्थर की मूर्तियां, धातु चित्र, भित्ति चित्र से सुसज्जित किया गया है। इस तरह का कला, शिल्प संयोजन अपने आप मे अद्भुत है। इस इमारत मे आधुनिक महान वास्तुकारों और शिल्पियों का विशेष योगदान है।
संसद भवन की स्थापत्य के कुछ खास तथ्य
सेंट्रल विस्टा परियोजना पर आधारित इस बिल्डिंग को विमल पटेल ने आर्किटेक्ट किया है। बलुआ पत्थर से बने इस नए भवन मे छः द्वार बनाये गए हैं। जिनमे विभिन्न प्रकार की मूर्तियां अंकित की गयी हैं। ये सभी चित्र यश, कृति, विजय, ऊर्जा और शक्ति का परिचायक है।
इन छः द्वारों के नाम गज द्वार, अश्व द्वार, गरुड़ द्वार, हंस द्वार, मकर द्वार और शार्दुल द्वार रखे गए है। तीन उत्सव मंडप बनाये गए हैं। जिनमे चाणक्य, गार्गी, गाँधी, पटेल, आंबेडकर, नालंदा विश्वविद्यालय एवं कोणार्क चक्र की विशाल पीतल की मूर्तियां बनायीं गयी हैं।
सार्वजानिक द्वार का नाम कर्त्तव्य द्वार रखा गया है। जो की तीन दीर्घाओं संगीत दीर्घा, कला दीर्घा, और शिल्प दीर्घा की ओर ले जाता है। इस दीर्घा मे आपको कला, सौंदर्य और भारतीय इतिहास की समृद्ध विरासत का अद्भुत बेजोड़ संगम देखने को मिलेगा।
संगीत दीर्घा में भारत की नृत्य, गायन, और वादन की पुरातन परम्परा को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए भारत के सभी राज्यों से मिटटी मंगवाई गयी है। इस संगीत दीर्घा मे संगीत के प्रख्यात साधकों की ओर से वाद्य यंत्रों को भेट किया गया है, जिसे संगीत दीर्घा मे स्थान दिया गया है।
उन महान नामों में से प्रसिद्द शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खान, सितार वादक पंडित रविशंकर, सरोद वादक अमजद अली खान, बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया,और एम् रमाणी संतूर वादक शिव कुमार शर्मा हैं।
स्थापत्य दीर्घा मे भारत के राज्यों मे यूनेस्को की विश्व विरासत की सूची मे शामिल धरोहरों को प्रदर्शित किया गया है। शिल्प दीर्घा इसमे भारत के विभिन्न प्रांतों मे बसने वाली हस्तशिल्प की बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाया गया है, इसके अलावे आदिवासी परम्परा से जुडी महिला कलाकारों के द्वारा ”पीपल्स वाल” तैयार की गई हैं !
जिसका थीम ”जन जननी जन्मभूमि” है इसे देखने के बाद आप भी आदिम जनजातियों की समृद्ध विरासत को जान पाएंगे नए संसद भवन के शिखर पर भारत का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तम्भ विशालकाय रूप में विराजमान है।
16000 किलोग्राम के धातु से बनाये गए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की प्रतिमा को पुराने भवन से लाया गया है। इस प्रकार से अशोक स्तम्भ शौर्य और गाँधी प्रतिमा अहिंसा का द्योतक बन गया है। संसद भवन की आर्ट गैलरी मे समानता, विश्व बंधुत्व की गरिमा, एकता, प्रेम, सौहार्द के आदर्श ज्ञान की परम्परा जो की प्राचीन काल से चली आ रही को स्थापित किया है।
New Parliament House Video in Hindi
आर्ट गैलरी में वेद, स्मृति, रामायन, महाभारत, नाटक, काव्य, अर्थशास्त्र, पांडुलिपि, अभिलेख, शिलालेख जैसे पुरातात्विक रचनाओं को उकेरा गया है। फ्रेंस्को कलाकृति से नन्दलाल बोस के द्वारा बनायी गयी संविधान की मूल प्रति की पेंटिंग लगायी गयी है। इन चित्रों मे अखंड भारत की तस्वीर दृश्टिगोचर होती है। आर्ट गैलेरी मंथन मे अंगकोरवाट मंदिर की पत्थर से बनी नक्कासी की गयी है।
श्रम सम्मान– इस नवनिर्मित भवन को बनाने मे जिन श्रमिकों,कारीगरों और कर्मवीरों ने अपना श्रम दिया है। उसके सम्मान मे एक डिजिटल फ्लिप बुक बनायीं गयी है। जिसका शीर्षक ”Hands That Made It Happen” नाम से जारी किया गया है। यह इतिहास मे पहली बार हो रहा है, कि किसी कर्म साधकों को इतने सम्मान का दर्जा दिया गया है।
पुराना संसद भवन और सेंगोल
आपको ज्ञात हो की 14 अगस्त 1947 की रात को सत्ता हस्तांतरण के प्रतिक के रूप मे लार्ड मौन्टबेटन के द्वारा पंडित जवाहरलाल नेहरू को धर्मदंड के रूप मे दिए सेंगोल जिसका नए भवन के लोकार्पण के दिन लोकसभा हॉल मे स्थापित किया गया है। यह सेंगोल भारतीयों के लिए आस्था, विस्वास और न्यायपूर्ण राजकीय व्यवस्था के प्रतिक चिन्ह के रूप मे स्थापित किया गया है।
1947 की आजादी के बाद इसकी प्रासंगिकता कम हो गई थी। तमिलनाडु के चोल साम्राज्य की परम्परा को फिर से जीवंत कर दिया गया है। इससे उत्तर से लेकर दक्षिण तक तमिल और संस्कृत की गरिमा और उसका मान बढ़ जायेगा।
महत्वपूर्ण तथ्यात्मक संग्रह
नए संसद भवन को बनने में 26045 मीट्रिक टन इस्पात का प्रयोग किया गया है। 63807 मीट्रिक टन सीमेंट का उपयोग किया गया है। 9689 घन मीटर फ्लाई ऐश का इस्तेमाल किया गया है। न्यू संसद भवन 65000 वर्ग मीटर के विस्तृत एरिया मे बना त्रिकोणीय आकार का चार मंजिला भव्य इमारत है।
888 सदस्यों के लोकसभा कक्ष मे बैठने की व्ययस्था की गयी है। संयुक्त सत्र मे इसी हॉल मे 1280 सदस्य बैठ सकेंगे। 384 सदस्यों के लिए राज्यसभा मे बैठने की व्यवस्था की गयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नवनिर्मित भवन की आधारशिला 10 दिसम्बर 2020 को रखी थी।
भवन बनाने की अनुमानित लागत 970 करोड़ रूपये है। आइये अब जानते हैं, कि श्रेष्ठ भारत के इस ऐतिहासिक नायाब इमारत को बनाने मे किन राज्यों ने क्या सेवाएं दी है – इस नए भवन मे प्रयुक्त सामग्रियाँ प्रायः देश के सभी राज्यों से लायी गयी हैं। लोकतंत्र के इस मंदिर को बनाने के लिए पुरे देश का साथ मिला है। सभी राज्यों ने अपने विशिस्ट वस्तुओं का योगदान दिया है।
आइये, इस बारे मे विस्तार से जानते हैं – खिड़की दरवाजे फर्नीचर और कुर्सियों के लिए सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से मंगवाई गयी है। लाल और सफ़ेद संगमरमर राजस्थान के समरथुरा से लाया गया है। यह वही लाल संगमरमर है, जिसका उपयोग हुमायूँ के मकबरे मे किया गया है। केसरिया और हरा पत्थर उदयपुर से लाया गया है। लाल ग्रेनाइट अजमेर के लाखा माइन्स से और सफ़ेद संगमरमर राजस्थान के अम्बाजी से लाया गया है।
लोकसभा और राज्यसभा के फॉल्स सिलिंग का काम दमन और दीव से करवाया गया है। सभी प्रयुक्त फर्नीचर मुंबई मे तैयार किये गए हैं। इस भव्य बिल्डिंग मे लगी जाली का काम राजस्थान और नोएडा से करवाया गया है। धातु निर्मित अशोक स्तम्भ के निर्माण सामग्री महाराष्ट्र और औरंगाबाद से लाया गया है। कक्ष मे लगे अशोक चक्र का धातु इंदौर से लिया गया है।
संसद भवन के निर्माण मे जिस रेडी का प्रयोग किया गया है, उसे एम् सैंड कहा जाता जाता है। इसे चरखी दादरी से मंगवाया गया है। नदी से निकाली गयी इस पत्थर को इको फ्रैंडली माना जाता है। फ्लाई ऐश और ईंटे हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लाया गया है। पीतल के काम के लिए अहमदाबाद ने अपनी सेवाएं दी हैं।
क्या होगा, पुराने गोलाकार संसद भवन का – ब्रिटिश वास्तुकार एडविन लुटियंस के द्वारा 1927 मे डिजाइन किया गया इस इमारत को एक विरासत के रूप मे सुरक्षित और संरक्षित रखा जाएगा। अब इसे एक हैरिटेज के रूप मे रखा जाएगा। नए संसद भवन के निर्माण के सम्बन्ध मे चर्चा पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के कार्यकाल मे ही हुई थी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
नए संसद भवन का नया नाम क्या है ?
लोक सभा स्पीकर ओम बिड़ला के द्वारा जारी की गयी अधिसूचना के अनुसार भारत के नए संसद भवन को “भारत का संसद भवन” नाम दिया गया है।
नई संसद भवन में कितनी सीटें है ?
नया संसद भवन देखने में काफी भव्य और नई टेक्नोलॉजी से लैस है। इस सदन की हर एक सीट को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है। नई संसद भवन में कुल 888 सीटें लोकसभा और 384 सीटें राजयसभा के लिए लगायी गयी है।
नया संसद भवन का निर्माण कब हुआ ?
नए संसद भवन की आधारशिला 10 दिसंबर 2020 को रखी गयी थी जिसे तीन सालों से कम समय में बनाकर तैयार किया गया था। नया संसद भवन 64,500 वर्ग मीटर में फैली हुई है जो चार मंजिला त्रिकोणीय आकार की ईमारत है जो पुराने संसद भवन से लगभग 17,000 वर्ग मिटर बड़ा है।
नया संसद भवन का वास्तुकार कौन है ?
भारत के गुजरात शहर के दिग्गज वास्तुकार बिमल पटेल के द्वारा नए संसद भवन का डिजाइन किया गया है।