अगर आप पर्वतीय इलाकों की सैर करने की सोच रहें है तो पंगोट और किलबरी पक्षी अभ्यारण्य नैनीताल, उत्तराखंड घूमने के लिए अवश्य जाना चाहिए। यह स्थान सैलानियों की सूची में हमेशा से सर्वोच्च रहा है।
पंगोट और किलबरी अभयारण्य यात्रा २०२४
यहाँ मौसम के बदल रहे मिजाज का लुफ्त उठाना चाहते है, या प्रकृति के नीले-नीले आसमान के तले मखमली चादर पर सैर करना चाहते है तो नैनीताल से बेहतर स्थान कहीं नहीं है यहाँ जरूर एक बार घूमने जाना चाहिए।
नैनीताल शहर से 15 किलोमीटर से दूर शहर की भीड़भाड़ और ट्रैफिक से निजात दिलाती प्रकृति के सानिध्य में शांति के साथ चरम सुख की अनुभूति होती है। यहाँ पर ट्रैकिंग के अद्भुत रोमांच का आनंद ले कर मन खिल उठता है।
नैना देवी बर्ड कंज़र्वेशन रिजर्व
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नैना देवी बर्ड कंज़र्वेटिव रिजर्व पक्षियों के कलरव और घने जंगलों में उन्मुक्त विचरण की आजादी देता है। यहाँ पक्षियों की मधुर ध्वनियों से गुंजायमान और तितलियों की रंग बिरंगी दुनियां आपको बेहद सुखद एहसास से भर देगा।
नैनीताल में ही चाँद तारों को करीब से देखने के लिए एस्ट्रो विलेज भी बनाया गया है। यहाँ पर मधुमखियों के दर्शन के लिए पर्यटन के रूप में ज्योलिकोट को विकसित किया जा रहा है।
किलबरी पक्षी अभ्यारण्य नैनीताल शहर से करीब 3 किलोमीटर की दुरी पर स्थित 111 वर्ग किलोमीटर के विस्तृत भाग में फैली हुई है। यहाँ पुरे संसार के अद्भुद चिड़ियों के साथ विचरण करने का एक अलग ही मजा है। चिड़ियों के इस स्वरमय दुनियां तक पहुँचने के लिए आप पैदल या यहाँ चलने वाले भाड़े की गाड़ियों के द्वारा पहुँच सकते है।
टाँकी बैंड से पंगोट रोड होते हुए कुंजकड़क के रास्ते की पैदल सफारी आपको रोमांचित कर देगी। इस स्थान पर फोटोग्राफरों को कैमरे में तस्वीरों को कैद करने का एक सबसे सुनहरा मौका देता है। यहाँ पर सभी पक्षियाँ स्वछंद और उन्मुक्त होकर विचरण करते है जो देखने में नयनाभिराम होता है।
क्या आपको पता है, कि नैनीताल शहर की खोज का श्रेय किसे दिया जाता है ? नैनीताल शहर की खोज का श्रेय ब्रिटिश अधिकारी पीटर बैरन को दिया जाता है इन्होने ही सन 1841 ई० को रातीघाट, पडली से पैदल नैनीताल आये थे। इसी दौरान इन्होनें इस सुखद दुनिया की खोज की थी।
नैनीताल पर्यटकों के लिए ट्रैकिंग का सबसे सुन्दर स्थान है
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नैनीताल आज के पर्यटकों के लिए भी ट्रैकिंग का सबसे सुन्दर रास्ता माना जाता है। आप आज भी यहाँ पर बाँस, देवदार, चीड़ और उतीस के जंगलों से होकर गुजरेंगे तो चुंगी से पडली और रातीघाट तक ट्रैकिंग करके आपका दिल बाग़-बाग़ हो जायेगा।
अब तो यहाँ इस स्थान पर वन विभाग की ओर से सुन्दर ट्रैक बनाये जा रहे है। पैदल ट्रैक में चलने का आनंद ही कुछ अलग है। यहाँ से ब्रह्मस्थली मंदिर और हिमालय की चोटियां के दर्शन कर सकते है।
हाल के कुछ वर्षों में मधुमखियों के लिए एक वृहत दुनिया बनने की तैयारी की जा रही है। नैनीताल से 12 किलोमीटर दूर स्थित राजकीय मत्स्य पालन प्रशिक्षण केंद्र ज्योलिकोट में स्थापित किया गया है। आप यहाँ जाकर मधुमखियों के संग गुनगुनाते हुए समय गुजार सकते है।
फूलों पर मंडराते हुए छत्ता बनाने से लेकर मधु तैयार करने की पूरी प्रक्रिया को अपने आँखों से देख और समझ सकते है।
दिव्य स्वर्ग : एस्ट्रो विलेज दृश्य
एस्ट्रो विलेज के नाम से विख्यात एक ऐसी दुनियां जहाँ से आकाशीय दुनिया से रूबरू होने का मौका मिलेगा। गाँधी ग्राम हल्द्वानी रोड पर स्थित चीड़ और बांस के जंगलों से घिरा हुआ शांत और सैलानियों को खगोलीय जानकारी को इकठ्ठा करने का अप्रतिम स्थान है।
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दिव्य स्वर्ग “बेनीताल” उत्तराखंड के पिथौरगढ़ जिले में स्थित एक छोटा सा गांव है। यह गांव अपने प्रदूषण रहित आसमान, न्यूनतम प्रकाश प्रदूषण और रात के आसमान के मनमोहक दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। इस गांव को एक आदर्श दिव्य वातावरण का आशीर्वाद प्राप्त है, जो तारों को देखने और खगोलीय अवलोकनों के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है।
जहाँ आकर आधुनिक टेलिस्कोप के द्वारा आकाशीय दुनिया को देखा जा सकता है। एस्ट्रो विलेज के यात्रा के दौरान इस आकाशीय दुनिया को देखना न भूलें।
भारत के उत्तराखंड के पहले एस्ट्रो विलेज “बेनीताल” जहाँ से हिमालय के प्राचीन परिदृश्यों के बीच स्थित एक अनोखा गांव है। जो किसी दिव्य की भांति एक दिव्य अनुभव प्रदान करता है।
बेनीताल के चमत्कार जहाँ खगोल विज्ञान, तारों को देखना और आकाशीय अवलोकन केंद्र, जो उत्साही और प्रकृति प्रेमीयों के लिए एक आकर्षक और शैक्षिक यात्रा प्रदान करते है।
एक कहावत यह भी है की यहाँ के लोग दिल्ली जैसे शहर में जाकर नहीं बस सकते है क्योकिं इस गांव का वातावरण बिलकुल ही शुद्ध है और दिल्ली जैसे शहरों का वातावरण अशुद्ध होने के कारण लोग बीमार पड़ जायेंगे।
पंगोट और किलबरी पहुंचने का मार्ग
सड़क मार्ग – किलबरी अभ्यारण्य नैनीताल शहर से 13 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है, यहाँ पहुंचने के लिए स्वयं ड्राइविंग या टैक्सी किराये पर लेकर पहुँच सकते है। यह अभ्यारण्य दिल्ली से 355 किलोमीटर और आगरा से 365 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है।
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अगर आप पहली बार आने वाले है तो नैनीताल के आसपास परेशानी मुक्त यात्रा के लिए पहले ही किराये की कंपनियों से आपको खुद की निजी कैब बुक करनी चाहिए।
रेलवे मार्ग – अगर आप ट्रेन से यात्रा करना चाहते है तो आपको काठगोदाम रेलवे स्टेशन निकट रेलवे स्टेशन है, जो पंगोट और किलबरी अभ्यारण्य से लगभग 20 किलोमीटर की दुरी पर है। रेलवे स्टेशन से अभ्यारण्य तक बस और टैक्सी सेवा बहुतायत में है।
वायुयान – यदि आप हवाई जहाज से यात्रा करने की सोच रहे है तो पंतनगर हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है, जो पंगोट और किलबरी पक्षी अभ्यारण्य से लगभग 95 किलोमीटर की दुरी पर है। आप हवाई अड्डे से एक निजी या फिर किराये टैक्सी पर ले सकते है जिससे अभ्यारण्य तक पहुंचने में लगभग 3 से 4 घंटे लगेंगे।
नोट – अगर आपको पंगोट और किलबरी पक्षी अभ्यारण्य जाने के लिए सीधे सवारी नहीं मिलती है, तो आप मॉल रोड नैनीताल के लिए किसी से पूछ कर वहां पहुंचने पर अभ्यारण्य के लिए स्थानीय सवारी ले कर जा सकते है क्योकि यह काफी करीब है।