शांतिकुंज हरिद्वार की पावन यात्रा : Shanti Kunj Haridwar Yatra 2024

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Shanti Kunj Haridwar में स्थित एक विश्व प्रसिद्ध आश्रम और अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) का मुख्यालय है जो प्रकृति की गोद में बसा पवित्र पावन धाम है। यह विशाल और भव्य आश्रम वेदमूर्ति तपोनिष्ट पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य और शक्तिस्वरूपा माता भगवती देवी शर्मा की तपस्थली है जिसकी स्थापना इन्होनें 1971 ई0 की थी।

शान्तिकुंज हरिद्वार यात्रा २०२४

शांतिकुंज हरिद्वार
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विश्व प्रसिद्ध शांतिकुंज आश्रम दर्शन

गायत्री मन्त्र से गुंजायमान पतित पावनी गंगा के तट पर स्थित माँ गायत्री की सिद्ध स्थल है। इसी पवित्र स्थल पर अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) का मुख्यालय है। इस संस्थान मे गायत्री मन्त्र की साधना, आध्यत्मिक ध्यान, सामाजिक और पर्यावरण संरक्षण जैसे विश्व कल्याण के कार्य किये जाते हैं।

संस्थान की स्थापना का मुख्य उद्देश्य मानवमात्र मे समानता लाना और युग परिवर्तन करना है। यह आश्रम शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण वातावरण, सादा जीवन और उच्च विचार के आदर्शों पर चलता है।

शांतिकुंज की खास बात यह है कि वेदमूर्ति के सूक्ष्म संरक्षण मे दुनियाभर के निस्वार्थ समयदानियों और परिव्राजकों के द्वारा सफल सञ्चालन किया किया जाता है। यह परम धाम सिर्फ आश्रम ही नहीं वरन जप और तप से मर्यादित युग निर्माण का अभियान है।

Shanti Kunj Haridwar का मिशन

Shanti Kunj Haridwar
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शांतिकुंज एक आध्यात्मिक संस्थान हैं। यहाँ पर मानव मूल्यों के उत्थान के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। मनुष्य के भीतर छिपे देवत्व को जागृत करना, आत्म साक्षात्कार, आध्यत्मिक विकास ताकि मानव का कल्याण हो सके और इसका प्रभाव हर प्राणिमात्र को मिल सके।

इसका लक्ष्य पृथ्वी पर स्वर्ग का अवतरण करना है। व्यक्तित्व निर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण, शांति, प्रेम, सौहार्द, समृद्धि जैसे सांस्कृतिक कार्यकर्मों का आयोजन देश-विदेश मे इस मिशन के सेवाभावियों के द्वारा किया जाता है।

पीले वस्त्रों को धारण किये हुए परिव्राजकों के द्वारा समाज के दलित शोषित, दिग्भ्रमित, अंधविश्वासी लोगों को समाज की मुख्य धारा मे लाने का महान समाजसुधार का कार्य किया जाता है ताकि समाज मे फैली हुई कुरीतियों को मिटाकर शांति प्रेम और सद्भाव को स्थापित किया जा सके।

इस संस्थान के भीतर गायत्रीं मंत्र का जप, तप, ध्यान और प्रवचन का कार्यक्रम दिन भर चलता रहता है।श्रीराम शर्मा आचार्य के द्वारा लिखित साहित्य के माध्यम से जन-जन तक ज्ञान के अलोक को फ़ैलाने का काम किया जाता है।

इस भव्य परिसर के अंदर अनाथालय, विश्व विद्यालय, छात्रावास, चिकित्सा शिविर इत्यादि भी हैं। जहां पर जरूरतमंद लोगों को सेवाएं दी जाती हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्मम से हवन पूजा यज्ञ संगीत नाटक गोष्ठियों का आयोजन किया जाता है।

अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज (AWGP)

शांतिकुंज अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP)
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अखिल विश्व गायत्री परिवार पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के आदर्शों को जन-जन तक पूरी दुनिया मे फैलाने के लिए करोड़ों लोगो का विशाल जन समूह है। जो मानव एकता, समानता, व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए जागरूकता फ़ैलाने का काम करते हैं।

इस परिवार के बैनर तले सभी प्रकर के कष्टों से मुक्ति, जप, तप, ध्यान और योग के माध्यम से आध्यात्मिक चेतना का संचार किया जाता है। नशाबंदी, शराबमुक्ति बालविवाह, दहेज़ प्रथा, अन्धविश्वास जैसे कुरीतियों के खिलाफ अभियान को चलाकर एक स्वस्थ समाज की संकल्पना को साकार करना इसका मुख्य कार्य है।

अखिल विश्व गायत्री परिवार की फौज ग्राम योजना, स्वच्छता, स्वास्थ्य, सेवा, शिक्षा आदि जैसे क्षेत्रों मे भी सराहनीय कार्य करते हैं। राष्ट्र की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए सांप्रदायिक, सद्भाव, भाईचारा और समानता के सन्देश को प्रचारित और प्रसारित करने के लिए विश्व के तमाम भागों मे घूमते हैं। ताकि राष्ट्रीय एकता के सूत्र से देश और समाज को मजबूती मिल सके।

ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान

ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान
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ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान शांतिकुंज आश्रम से कुछ दुरी पर स्थित गंगा के तट पर अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय केंद्र के रूप मे विश्वविख्यात है। इस अनुसन्धान केंद्र की स्थापना पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा सन 1971 मे किया गया था।

ब्रह्मवर्चस अनुसन्धान केंद्र मे अत्याधुनिक प्रयोगशाला और अध्यात्म केंद्र बनाये गए हैं। दुर्लभ जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों से युक्त स्वास्थ्य उपचार, ध्यान, साधना, योग, मंत्रशक्ति ,शरीर और अंतःकरण को प्रभावित करने वाले कारकों पर शोध किया जाता है। भारतीय योग दर्शन, ज्ञान और विज्ञान तथा जीवन जीने की कला के अविस्मरणीय केंद्र के रूप मे इस केंद्र को प्रतिष्ठापित किया गया है।

इस संस्थान ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। संस्थान की योग और चिकित्सा पद्धतियाँ भारत ही नहीं वरन विश्व भर मे प्रसिद्ध हैं। संस्थान के द्वारा ब्रह्मवर्चस शोध पत्रिका, गायत्री विज्ञान, यज्ञ और मंत्र विज्ञान जैसी प्रमुख पुस्तकों का प्रकाशन किया जाता है।

जिससे साधक और शोधार्थी इसका लाभ ले सकें। शोध की व्यापकता के लिए ब्रह्मवर्चस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी यज्ञ और विज्ञान शिविर का आयोजन भी किया जाता है।

सजल-श्रद्धा और प्रखर-प्रज्ञा

सजल-श्रद्धा और प्रखर-प्रज्ञा
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Shanti Kunj के असीम सुन्दर शांत परिसर मे स्थित सजल-श्रद्धा और प्रखर-प्रज्ञा परम पूज्य पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य और उनकी धर्मपत्नी परम वंदनीय माताजी की समाधी स्थल हैं। इन दोनों मंदिरों मे गुरुदेव और माताजी के अवशेष स्थापित हैं।

ऋषियुग्म के महाप्रयाण के बाद आज भी ये दोनों मंदिर कष्टों और कठिनाइयों को दूर करने मे सहायता करते हैं। सजल-श्रद्धा के तरुण छाँव में बैठकर असीम प्यार, स्नेह और अपनापन के दर्शन होता है। यहाँ पर आकर किसी भी भटके हुए को रास्ता और मानसिक तनाव से ग्रसित व्यक्क्तियों को माँ के आँचल मे स्नेह की छाया मिलती है।

प्रखर-प्रज्ञा के पास ध्यान लगाने से आप ज्ञान, सत्कर्म, विवेक और दूरदर्शिता को अनुभव कर पाएंगे। यहाँ की शांति आपको सुखद अनुभूति प्रदान करती है, ऐसा लगता है, मानो गुरु सत्ता के सूक्ष्म संरक्षण का आशीष हमारे ऊपर बरस रहा है। अगर आप चिंतित हैं, तो इस स्थल पर अपना ध्यान लगाएं हजार अवरोधों को चीरकर आपकी प्रखरता, यथार्थ और सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेगी।

ये दोनों मंदिर मानवता के लिए श्रद्धा और प्रज्ञा के प्रकाश श्रोत हैं। गायत्री तीर्थ मे इन दोनों प्रतिक चिन्हों पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने से शक्ति और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। यह अमूल्य धरोहर मानवता को सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

देवात्मा हिमालय

देवात्मा हिमालय मंदिर
Image Source: Gurukulam

देवात्मा हिमालय उत्तराखंड के प्रकृति के सानिंध्य में बसा हुआ शांत, विश्वविख्यात आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। इस स्थान पर सनातन काल से चली आ रही ऋषि मुनियों के तप, ध्यान और योग की परम्परा को जीवंत रखा गया है। इस दिव्य वातावरण से चारों धाम, पञ्च प्रयाग, सरस-सलिला माँ गंगा और यमुना की पवित्र पावन धाराओं का अद्भुत और मनोरम दर्शन होता है।

अध्यात्म पथ के पथिकों के लिए यह स्थान देव् और साधक के आत्माओं का मिलन स्थान के रूप मे जाना जाता है। 140 फिट ऊँची पहाड़ पर स्थित गुंबदाकार हिमालय प्राकृतिक वस्तुओं से निर्मित है। इस केंद्र से साधकों और तपस्वियों को आत्मबल तथा दिव्य शक्तियों का पोषण प्राप्त होता है।

प्रकृति के अनंत सौन्दर्य मे बसे हुए इस जगह से परम पूज्य गुरुदेव के विचारों और आदर्शों से सीधा आत्मसात होता है। अध्यात्म प्रेमियों, साधकों और पर्यटकों के लिए यह दिव्य वातावरण खास आकर्षण का केंद्र है।

देव संस्कृति विश्विद्यालय (DSVV)

देव संस्कृति विश्विद्यालय (DSVV)
Image Source: DSVV

देव् संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार जिले के देहरादून रोड पर स्थित है। इस विश्वविद्यालय का खास उद्देश्य राष्ट्र की युवाशक्ति को सम्पोषित कर श्रेष्ठ नागरिक और देशभक्त बनाने पर है। विद्यार्थियों को विशेषज्ञ, आचार्य, कलाकार मानव से ऊँचा महामानव और देवमानव बनाने के शर्तों पर खरा उतरने के लिए तैयार किया जाता है।

विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम मे साहित्य, विज्ञान, शिक्षा, प्रबंधन, योग जैसे विभिन विषयों को शामिल किया गया है। इस विश्वविद्यालय मे गायत्री महामंत्र, वेद, कर्मकांड, योग दर्शन इत्यादि को भी पढ़ाया जाता है

विद्यार्थियों के लिए अत्याधुनिक तरीके से सुसज्जित शोध संस्थान और अनुसंधान केंद्र बनाये गए हैं। यह विश्वविद्यालय अपने आप मे कई गतिविधियों और पठन-पाठन को समेटे हुए है। इसके लिए विशाल भवन जैसे की यज्ञशाला, नाट्यगृह, पुस्तकालय और सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए भवन बनाये गए हैं।

देव् संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थी देश-विदेश के कोने-कोने मे राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र मे अपना परचम लहरा रहे हैं।

अखंड दीप प्रज्वलित

अखंड दीप प्रज्वलित
Image Source: Shanti Kunj

पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के द्वारा सन 1926 ईस्वी मे बसंत पंचमी के दिन अखंड दीप को प्रज्वलित किया गया था। तब उनकी उम्र 15 वर्ष की थी। अपनी कठिन तपस्चर्या और गायत्री माता के साधकों के सानिंध्य मे यह दीप आज भी चौबीसों घंटे अखंड प्रज्वलित होता रहता है।

तीन मीटर की ऊंचाई वाले दीपक के बीच में लौ जलती रहती है। यह दीप गायत्री माता की शक्ति के प्रतिक के रूप मे साक्षात् प्रतिमान है। इस दीप की लौ दीपक के बीच मे जल रही होती है। इसकी शक्तियां अपरम्पार हैं। यह दीप गायत्री माता की शक्ति के प्रतिक के रूप मे विधमान है।

यह दीप अनवरत जलते रहने के कारण शान्तिकुंज्ज की अमूल्य धरोहर बन चुकी है। आप जब भी शांतिकुंज के दर्शन को जाएँ इस अखंड दीप के दर्शन करना न भूलें। इसके दर्शन मात्र से शांति, सुकून और अध्यात्म की प्राप्ति होती है।

गायत्री माता का मंदिर

गायत्री माता मंदिर
Image Source: Tripadvisor

वेदों मे वर्णित सविता देवता माँ गायत्री माता को समर्पित भव्य और सुन्दर मंदिर है। मंदिर की संरचना अत्यंत मनमोहक और आकर्षक है। सफेद संगमरमर से बनाई गयी मंदिर के चारों ओर सुन्दर और सुगन्धित फूलों की कायरियाँ बनायीं गयी है।

मंदिर के अंदर गर्भगृह मे दिव्य स्वरूप धारण किये हुए गायत्री माता की चमत्कारी मूर्ति सुशोभित है। सोने और चांदी से जड़ित इस मूर्ति मे गायत्री मन्त्र लिखा हुआ है। इस मंदिर का मुख्य प्रयोजन आध्यात्मिक जीवन शैली मे देव्-दर्शन करना परमसत्ता से प्रेरणा पाना और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना है।

“असतो माँ सदगमय” भटके हुए को राह दिखाना, सद्बुद्धि और स्व-विवेक प्राप्त करना। जब ऐसा हो जायेगा तो व्यक्ति स्वतः ही सन्मार्ग पर चलेगा और हर परिस्थिति मे परम सुख और परमानन्द की अनुभूति कर सकेगा।

मंदिर की सुंदरता और भव्यता देखते हुए बनती है। यहाँ पर हर साल लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों की आवाजाही लगी रहती है। आप जब इस मंदिर के दिव्य दर्शन को आएंगे सचमुच ही आप शांति और आध्यात्मिक्ता का अनुभव करेंगे।

गायत्री मंत्र

गायत्री मंत्र की उत्पत्ति ऋग्वेद के गायत्री सूक्त से हुई है। यह एक अत्यंत शक्तिशाली मन्त्र है। इसे संस्कृत भाषा मे लिखा गया है। गायत्री मन्त्र मे समस्त सृस्टि के मूल का वास् है। ब्रह्मा, विष्णु, और महेश तीनों लोकों पृथ्वी,आकाश और स्वर्ग समाहित है।

गायत्री मंत्र

भावार्थ- उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा मे धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग मे प्रेरित करें।

उक्त मंत्र का नियमित रूप से जप करने पर नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। मानसिक कुविचारों से मुक्ति मिलती है। मेधा शक्ति का विकास होता है। इसी कारण से ऋषि-मुनियों ने इस मन्त्र को सभी कष्टों से निवारण करने वाला और सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला बताया है।

इस मन्त्र का जप किसी भी समय किसी भी स्थान पर किया जा सकत है। बस शुद्ध मन, स्थिर भाव से ध्यानपूर्वक स्पस्ट रूप से उच्चारित करके करना चाहिए। ऐसा करने से हर साधक को जरूर सफलता मिलती है।

सारांश

बहुत बड़भागी हैं, अगर आपने इस दिव्य वातावरण का दर्शन कर लिया है। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन मे एक बार जरूर इस परम धाम के दर्शन करना चाहिये। कहीं कुछ छूट न जाये इसलिए शांतिकुंज की यात्रा पर समय की पाबन्दी न रखें इस आश्रम मे स्थापित यज्ञशाला, साहित्य विक्रय केंद्र, बाल संस्कार शाला को भी देखना न भूलें।

यात्रा के दौरान देवभूमि उत्तराखंड में हरिद्वार को घूमना न भूलें। हर की पौड़ी, चंडी माता का मंदिर, मनसा देवी मंदिर, पवनधाम, सप्तऋषि आश्रम, ब्रहमकुंड, गंगा आरती की प्राकृतिक सुंदरता और उसकी महिमा से अवगत हुए बिना वापस न जाएँ।

शांतिकुंज हरिद्वार कैसे जाएँ ?

Shanti Kunj के दिव्य वातावरण के दर्शन के लिए आप देश के किसी भी कोने से आ सकते हैं। इसके लिए सड़क मार्ग, रेलमार्ग और हवाई मार्ग सुगम साधन हैं। अगर आप सड़क मार्ग से आना चाहते हैं, तो राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 57 से यात्रा कर सकते हैं, जो दिल्ली को सीधी तौर पर जोड़ता है। नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार है।

अगर आप हवाई मार्ग से यात्रा करना चाहते हैं। तो सबसे निकट हवाई अड्डा जोली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो देहरादून मे स्थित है। इस जगह से हरिद्वार की दूरी मात्र 37 किलोमीटर है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

शांतिकुंज क्यों प्रसिद्ध है ?

प्राचीन भारतीय परम्परा के अनुसार शांतिकुंज संयुक्त परिवारों के प्रचलन को प्रोत्साहित करने वाला एक आदर्श केंद्र है।

शांतिकुंज की स्थापना कब और किसने की ?

शांतिकुंज की स्थापना 1971 ईं0 को पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के द्वारा एक छोटे से जमींन के टुकड़े में की गयी थी।

शांतिकुंज का क्या अर्थ है ?

शांतिकुंज दो शब्दों के मिलने से बना है पहला शब्द शांति जिसका अर्थ “शांति” होता है और दूसरा शब्द कुंज जिसका अर्थ “उद्यान” होता है।

नमस्कार, मैं श्री विजय वर्मा Web Bharti का संस्थापक, मैं एक ब्लॉगर, यूट्यूबर, लेखक, व्यापारी हूँ।

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